॥ श्रीमद्वरवरमुन्यष्टोत्तरशतनामावलिः॥

द्रष्टव्यं :
स्तोत्रेषु कुत्रापि अशुद्धो विद्यते तु अधः कमेन्टकोष्ठे संसूचयन्तु तेन महान्तः धन्यवादाः

॥ श्रीमद्वरवरमुन्यष्टोत्तरशतनामावलिः॥

ॐ श्रीशैलेशदयापात्राय नमः। 

ॐ धीभक्त्यादिगुणार्णवाय नमः 
ॐ यतीन्द्रप्रवणाय नमः 
ॐ वन्द्याय नमः 
ॐ रम्यजामातृयोगिराजे नम: 
ॐ यतीन्द्रापरपर्यायाय नम: 
ॐ पर्यायभुजगेश्वराय नम: 
ॐ वाचस्पतये नमः 
ॐ विशदवाक्चूडामणये नम: 
ॐ अप्रमेयधिये नम: ॥ १० ॥
ॐ श्रीमत्परमहंसार्याय नमः 
ॐ तत्त्वज्ञानविवर्धनाय नम: 
ॐ यथाभूतार्थकथनाय नमः
ॐ यथादृष्टार्थबोधनाय नम: 
ॐ यथार्थसूक्तिनिवहाय नम: 
ॐ यथार्थानुग्रहोदयाय नमः 
ॐ त्रिदण्डमण्डनाय नम: 
ॐ सौम्यशिखावते नमः 
ॐ शोभनाकृतये नमः 
ॐ सर्वसौहार्दनिलयाय नम: ॥ २० ॥
ॐ सुमुखाय नमः 
ॐ सौख्यदायकाय नमः 
ॐ जयप्रदमहासूक्तये नमः 
ॐ जयशीलाय नमः 
ॐ जगद्गुरवे नमः 
ॐ तेजोनिधानवदनाय नमः 
ॐ तेजिष्ठाय नमः 
ॐ तीर्थपावनाय नमः 
ॐ क्षेत्रयात्रापवित्रात्मने नमः 
ॐ क्षेत्रक्षेत्रमविवर्धनाय नम: ॥ ३० ॥
ॐ सिद्धशासननिष्ठात्मने नमः 
ॐ सिद्धसर्वार्थसंचयाय नमः 
ॐ सिद्धिदाय नमः 
ॐ शुद्धहृदयाय नमः 
ॐ विशुद्धवपुषे नमः 
ॐ उज्ज्वलाय नमः 
ॐ अमन्दानन्दसंदोहसन्दायकवचोमृताय नमः 
ॐ अमृतप्रायवाग्गुम्भविवशीकृतरङ्गराजे नमः 
ॐ जगद्गुरुगुणस्तोमविशदीकरणप्रभवे नमः 
ॐ गुणैकदर्शिने नमः ॥ ४० ॥
ॐ गुढार्थव्याख्यात्रे नमः 
ॐ वाक्यतत्त्वविदे नमः 
ॐ विद्वद्वरेण्यसंस्तुत्यविमलोदयभाषणाय नमः  
ॐ जात्याश्रयनिमित्तादिदुष्टान्नपरिहारकाय नमः 
ॐ सर्वश्रमापहायुक्तये नमः 
ॐ समदर्शिने नमः 
ॐ सतां निधये नमः 
ॐ रजस्तमोविदूरात्मने नमः 
ॐ शुद्धसात्विकविग्रहाय नम:
ॐ पद्मपाणये नमः ॥ ५० ॥
ॐ पद्मवक्त्त्राय नमः 
ॐ पवित्रधिये नमः 
ॐ दुर्गुणध्वान्तसंहर्त्रे नम: 
ॐ सद्गुणस्तोमशेवधये नमः 
ॐ श्रीपादतीर्थसंदानसमुज्जीवितचेतनाय नमः 
ॐ चैतन्यस्तन्यसंदानसंवर्धितमहीतलाय नम: 
ॐ कृत्स्नभूमण्डलव्यापिदिव्यकीर्तिसमुज्ज्वलाय नमः 
ॐ स्वपादरेखारूपश्रीतोताद्रिमुनिसंस्तुताय नमः 
ॐ अविज्ञातवृथाजल्पाय नमः 
ॐ सुविज्ञातार्थपञ्चकाय नमः ॥ ६० ॥
ॐ अविज्ञातनरस्तोत्राय नमः 
ॐ सुविज्ञातगुरुस्तुतये नमः 
ॐ गरिष्ठगोष्ठयधिष्ठात्रे नमः 
ॐ गरीयसे नमः 
ॐ गाढभक्तिदाय नमः 
ॐ रङ्गनाथमुखोदञ्चन्मङ्गलश्लोकसंस्तुताय नमः 
ॐ वादिभीतिकराचार्यसदाचार्याय नमः 
ॐ सदाश्रयाय नमः 
ॐ त्रैगुण्यसंगरहिताय नम: ॥ ७० ॥
ॐ त्रय्यन्तपरिपोषकाय नम:
ॐ भगवद्गुणविद्धात्मने नमः
ॐ भक्तिभूषाय नमः 
ॐ अभिरामवाचे नमः
ॐ स्वरूपानुगुणोपायनिष्कर्षिणे नमः 
ॐ निस्समानधिये नमः 
ॐ निस्समाभ्यधिकाय नमः
ॐ नेत्रे नमः 
ॐ निष्कृष्टज्ञानसागराय नमः 
ॐ उत्कृष्टजन्मनिष्कर्षिणे नम: ॥ ८० ॥
ॐ निष्कर्षध्याननिष्टधिये नमः 
ॐ शीतलोदारहृदयाय नमः 
ॐ हार्दभक्त्यमृतार्णवाय नम: 
ॐ अर्णवादपिगम्भीराय नमः 
ॐ दम्भसूयादविष्ठहृदे नमः 
ॐ शास्त्रतात्पर्यनिर्णेत्रे नम: 
ॐ शास्त्रविश्वासवर्धनाय नम: 
ॐ सर्वसंपत्परित्यागिने नमः 
ॐ पारमैकान्त्यभूषणाय नमः 
ॐ सुदृढाध्यवसायाढयाय नमः ॥ ९० ॥
ॐ सुप्रतिष्ठितदर्शनाय नमः 
ॐ गुणानुभवकैंकर्यनैयत्यनियताग्रण्ये नमः 
ॐ आचार्यप्रेमसम्पत्तिसमुज्ज्वलितमानसाय नमः 
ॐ आभ्यन्तरदृढप्रेम्णे नमः 
ॐ बाह्याडम्बरवर्जिताय नमः 
ॐ सर्वप्रमाणसग्राहिणे नमः 
ॐ सर्वभूतसुहृत्तमाय नमः 
ॐ सर्वपापफलध्वंसिने नमः 
ॐ सर्वपुण्यफलप्रदाय नमः 
ॐ सर्वदेशदशाकालसमिन्धानयशसे नमः ॥ १०० ॥ 
ॐ सर्वदेवालस्तोमसमुद्घोषितवैभवाय नमः 
ॐ सत्सम्प्रदायसिद्धान्तसम्बर्धनविचक्षणाय नमः 
ॐ सर्वदेवालयाराध्यदिव्यमङ्गलविग्रहाय नमः 
ॐ सर्वशास्त्रार्थवैशद्यसमुत्पादकसूक्तिदाय नमः  
ॐ सर्वसूरिगणांशात्मने नमः  
ॐ सर्वविज्ञानसागराय नमः 
ॐ सर्वाचार्यसमुत्तुङ्गाय नमः
ॐ सर्वरक्षकरक्षकाय नमः १०८
॥ इति श्रीमद्वरवरमुन्यष्टोत्तरशतनामावलिः॥

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